पहले के जमाने में विष पुरुष होते थे क्या वही विष पुरुष है कल्लू आदिवासी

 मुकेश प्रजापति खनियाधाना:- कहा जाता है कि, 'जिसको काटे सांप पदम, नहीं चले वो दो कदम।' पदम सांप 'किंग कोबरा' को कहा जाता है। खनियाधाना के ग्राम मुहासा में अजीबो-गरीब तरह का एक आदिवासी व्यक्ति को सांपो को पकड़ते और खुद को कटवाते देखा है पर उसके ऊपर कोई जहर का प्रभाव नहीं होता यह व्यक्ति वह साधारण सांपों तो नहीं पकड़ता है  जहरीले सांपों को यहां के घरों में घूमते देखा जाता है रोजमर्रा की बात है क्षेत्र में कई ऐसे जहरीले सांप जैसे काले वाईपर, घोड़ा पछाड़, काली नाग काली नागिन और कई प्रकार की प्रजाति के सांप इस क्षेत्र में देखने को मिलते हैं खनियाधाना के ग्राम मुहांसा में कई जहरीले  प्रजाति के सांप पाए जाते हैं
कल्लू आदावासी अपना काम छोड़कर भी लोगों की मदद करने के लिए सांप पकड़ने लोगों के घर पहुंच जाते हैं।

कल्लू आदिवासी का शौक।   खनियाधाना तहसील के ग्राम मोहासा निवासी कल्लू आदिवासी का शौक केवल सांप पकड़ना और शराब पीना है कल्लू आदिवासी बताते हैं कि अगर मैं शराब पी लूं तो सांप मुझे काट लेते हैं और मैं बेहोशी में आ जाता हूं वही कल्लू आदिवासी को केवल एक ही शौक है जहरीले से जहरीले सांपों को पकड़ना और खुद अपने शरीर के अंगों को सर्पों से कटवाना कल्लू आदिवासी को बहुत ही अच्छा लगता है सांपों से कटवाना पहले के जमाने में विश पुत्र हुआ करते थे अब वही विष पुत्र कल्लू आदिवासी को ग्रामीण मान रहे हैं कल्लू आदिवासी का कहना है कि मेरे पास कोई तंत्र मंत्र ना देवीय शक्ति नहीं है केवल यह तो मेरा एक सांप को पकड़ना हुनर और शौक है कि मैं जहरीले से जहरीले सांपों को पकड़ लेता हूं पहले मेरे लिए कई बार जहरीले सांपों ने कांटा है पर मुझे कुछ नहीं हुआ और ना ही आज सांपों के काटने से होता है वहीं जब हमारी टीम ने मौके पर जाकर कल्लू आदिवासी से मुलाकात की तो हमारी टीम के भी रोंगटे खड़े हो गए जब कल्लू आदिवासी को देखा तो कल्लू आदिवासी अपने गले में बड़े-बड़े सर्फ डाले हुए बैठा था और गांव वालों का हुजूम चढ़ा हुआ था भाई जब हमारी टीम कल्लू आदिवासी के नजदीक पहुंची तो हमारी टीम के भी रोंगटे खड़े हो गए जब कल्लू आदिवासी की सांप पकड़ते हुए बा सांपों से बच्चों की तरह सांपों से खिलौने जैसा खेलते करते हुए देखा और फिर कल्लू से सांप पकड़ने को लेकर चर्चा की तो कल्लू का कहना था कि मेरे पास ना तो कोई तंत्र मंत्र है ना ही कोई दैवीय शक्ति है मेरा केवल सांप पकड़ना हुनर है चाहे कितना भी जहरीला सांप हो मैं उसको चंद्र सेकंडो में अपने हाथों में पकड़ लेता हूं और फिर वह कहीं भी काटे मुझे कुछ नहीं होता सांप अगर कल्लू को काट लेता है तो सांप खुद बेहोशी की हालत में आ जाता है और कल्लू को कुछ भी नहीं होता ऐसे में बुजुर्ग कहते थे कि पहले विश पुत्र हुआ करते थे वहीं विष पुत्र एक कल्लू आज के जमाने में देखने को मिल रहा है जब और आगे हमारी टीम ने पड़ताल की तो गांव में जाकर और गांव वालों से चर्चा की तो गांव वालों का यही कहना था कि कल्लू आदिवासी एक गरीब व्यक्ति है और वह एक झोपड़ी में रह कर अपना जीवन यापन कर रहा है वही कल्लू आदिवासी के पास कोई तंत्र मंत्र की विद्या नहीं है वह तो उसका एक हुनर ही है कि उसका साथ दे रहा है और कैसे भी जहरीले सांप हो उनको कल्लू आदिवासी चंद सेकेंड में अपने हाथों में पकड़ लेता है और सांप कल्लू के ऊपर कई बार अटैक कर चुके हैं पर सांप कल्लू को काटता है तो कल्लू को कुछ नहीं होता और सांप को ही बेहोशी आने लगती है कल्लू आदिवासी बड़े-बड़े नाग और नागिन और से ऐसे खेलता है जैसे छोटा बच्चा खिलौनों से खेलता है वहीं जहां हमारी टीम ने कल्लू को देखा तो कल्लू के हाथ में एक बड़ा काला नाग और दो बड़ी-बड़ी नागिन हाथ में थी और कल्लू उनसे बातें करता और कहता कि मुझे काट और उन नाग और नागिन को बड़ी-बड़ी कसमें वादे रखता पर नाग नागिन कल्लू को काटते तो थे पर कल्लू के ऊपर कोई काटने का असर नहीं हो रहा था अब इसको कल्लू का हुनर कहें या फिर कोई दिव्य शक्ति या फिर कल्लू को बिष पुत्र कहें ए कहना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है

कल्लू आदिवासी सांपों को पकड़ने का यह खेल करीब 3 वर्षों से चल रहा है इसके देखने वाले गांव के प्रत्यक्षदर्शी है जिन्होंने हमारी टीम को अपने बयान कैमरे में कैद कराए हैं

किसी को भी अपनी पहली ही मुलाकात में अपना बना लेने की सम्मोहन शक्ति रखने वाले कल्लू आदिवासी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं इस सर्प विशेषज्ञ की ख्याति या दक्षता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गांव व आसपास के क्षेत्र में कहीं भी सांप निकल आए तो इस  कल्लू आदिवासी को लोग ढूंढने गांव की गली ओर गलिहारो में निकल जाते हैं और कल्लू जैसे ही सांप को हाथ लगाता है वैसे ही सांप कल्लू के कब्जे में चंद सेकंडो में आ जाता है

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