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खनियाधाना सीतापाठा पर श्रीमदभागवतकथा के साथ लगेगा क्षेत्रीय मेला

खनियाधाना सीतापाठा पर श्रीमदभागवतकथा के साथ लगेगा क्षेत्रीय मेला
भव्यता के साथ सम्पन्न होगा आठ दिवसीय महाशिवरात्री महोत्सव 
ब्यासपीठ से भागवतभूषण पं.रमाकांत ब्यास देंगे ज्ञानोपदेश


 मुकेश प्रजापति खनियाधाना:-  शिवपुरी जिले के खनियाधाना के एतिहासिक स्थल सीतापाठा जिसे अमर शहीद पं.चंद्रशेखर आजाद की कर्मस्थली भी कहा जाता है, पर खनियाधाना नगर प्रशासन द्वारा प्रतिवर्ष लगने वाले मेले को इस बार भव्यतम रूप दिया जा रहा है। क्षेत्रीय विधायक केपीसिंह कक्काजू एवं नगरपरिषद प्रशासक उदयसिंह सिकरवार के निर्देशन में नगरपरिषद सीएमओ के प्रबंधन में खनियाधाना का सीतापाठा मेला इस बार भव्यतम रूप में दिखेगा। विधायक केपीसिंह द्वारा हाल ही में पं.चंद्रशेखर आजाद के स्मारक का अनावरण एतिहासिक स्थल सीतापाठा पर करने के पश्चात 15 से 22 फरवरी तक लगने वाले भव्य मेले को क्षेत्रीय जनमानस की मांग पर धार्मिक आयोजन श्रीमदभागवतकथा के आयोजन के साथ साथ रासलीला आदि कार्यक्रमों से भी जोडा जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान विशेष आयोजन के क्रम में श्रीमदभागवत कथा का भव्य आयोजन विख्यात संत भागवतभूषण पं. रमाकांत ब्यास के मुखारविंद से ब्यासपीठ से श्रवण करने को मिलेगी। जिसकी तैयारियां युद्ध स्तर पर की जा रही हैं। मेला सहित सभी कार्यक्रमों की तैयारियों में नगरप्रशासन की टीम जुट चुकी है। उम्मीद लगाई जा रही है कि विधायक केपीसिंह कक्काजू के निर्देशन में नगरप्रशासन द्वारा आयोजित कार्यक्रम एतिहासिक एवं भव्यतापूर्ण तरीके से आयोजित किया जावेगा। जानकारी देते हुये नगर परिषद सीएमओ विनय कुमार भट्ट ने बताया कि खनियाधाना क्षेत्र का यह परम सौभाग्य है कि खनियाधाना से जुडा हुआ एतिहासिक स्थल सीतापाठा जो अमर शहीद पं. चंद्रशेखर आजाद की कर्मस्थली रहा है, पर प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी भव्य मेले का आयोजन क्षेत्रीय विधायक केपीसिंह एवं नगर परिषद प्रशासक एसडीएम उदयसिंह सिकरवार के निर्देशन में सम्पन्न होने जा रहा है। इस बार मेले के दौरान नगरवासियों की मंशा के अनुरूप विख्यात संत भागवतभूषण पं.रमाकांत जी ब्यास के मुखारविंद से श्रीमदभागवतकथा  का आयोजन 16 से 22 फरवरी तक सम्पन्न होगा। जिसका शुभारंभ 16 फरवरी को मेला प्रांगण में कलशयात्रा के साथ किया जावेगा। कथा का समय प्रतिदिन दोपहर 2 से शायं 6 बजे तक का रहेगा। वहीं श्री भट्ट ने बताया कि 18 से 20 फरवरी तक दो दिवसीय रासलीला का आयोजन वृन्दावनधाम से पधारे कलाकारों द्वारा मेला प्रांगण में ही शायं 8 बजे से देखने को मिलेगा। एतिहासिक स्थल पर भव्य मेले के दौरान अन्य कार्यक्रमों का आयोजन क्षेत्रवासियों के लिये आनंद की अनुभूति कराने के साथ साथ अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की स्मृतियों को ताजा करते हुये सीतापाठा स्थल को एतिहासिक दार्शनिक एवं पर्यटक स्थल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। सीएमओ नगर परिषद ने सभी नगरवासियों व क्षेत्रवासियों ने सीतापाठा स्थल के आयोजन के भव्य एवं सफल बनाने में सहयोग करने की अपील की है।

इतिहास के पन्नों से जुडी है सीतापाठा की गाथा
शिवपुरी जिले के पिछोर विधानसभा अंतर्गत खनियाधाना के समीप स्थित सीतापाठा नामक एतिहासिक स्थल की गाथा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों से लोहा लेते समय राष्ट्रभक्त पं.चंद्रशेखर आजाद से जुडी है। जानकारी के अनुसार 23 जुलाई 1906 को जन्मे चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों से लडाई लडते वक्त जब झांसी अैार ओरछा में क्रंाति की अलख जगाई उस समय श्री आजाद की मुलाकात झांसी में निवासरत रूद्रनारायण सिंह जो क्रांतिकारियों की मदद किया करते थे,से हुई। रूद्रनारायण सिंह ने पंडित जी की मुलाकात खनियाधाना के महाराज खलकसिंह जू देव से कराई। खनियाधाना के महाराज की व्यवस्था के अनुरूप गुप्त स्थान सीतापाठा पर 6 माह गुजाकर भारत माता के सपूत पं.  ने अंग्रेजों से लोहा लिया। जिसके क्रम में पंडित जी यहां बम व अंग्रेजों से लडाई लडने की तैयारी के संसाधन तैयार किया करते थे। यहां स्थापित चटटानों पर आज भी बम बनाने के अवशेष देखने को मिलते हैं। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान झांसी और ओरछा में क्रांति की अलख लगाते हुये वीर सपूत पं. चंद्रशेखर आजाद ने सीतापाठा में 6 माह रहकर यहां अपना नाम गुप्त रखा था। उन्हें खनियाधाना के सीतापाठा में रहते हुये यहां उन्हें हरीशंकर शर्मा के नाम से जाना जाता था। अपने गुप्त नाम हरीशंकर शर्मा के साथ ही पंडितजी ने यहां रहकर अंग्रेजों से लडाई लडने की पूरी तैयारी की। बताया जाता है कि यहां रहते हुये एक बार जब पंडित जी कुये पर नहा रहे थे तो खनियाधाना में निवासरत एक चित्रकार ने उनसे चित्र बनवाने का आग्रह किया। तो वे नहाते वक्त मूछों को उमेठने लगे। उनके इसी चित्र को चित्रकार द्वारा तस्वीर में उतार दिया। आज उनका खनियाधाना के सीतापाठा कुये पर बनाया गया वही चित्र पूरी दुनिया में प्रसिद्ध होकर वही चित्र की छवि हर जगह देखने को मिल जाया करती है।

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