अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की कर्मस्थली पर बरसा भक्तिरस
सत्य के समान कोई दूसरा धर्म नहीं होताः भागवतभूषण ब्यास
कथा के दूसरे दिवस उमडा भक्तों का सैलाव
मुकेश प्रजापति खनियाधाना:- शिवपुरी जिले के पिछोर अनुविभाग अंतर्गत खनियाधाना के एतिहासिक स्थल सीतापाठा पर चल रहे महाशिवरात्री महोत्सव के दौरान आयोजित श्रीमदभागवतकथा सप्ताह के दूसरे दिवस आज कथा पाण्डाल श्रद्धालुओं से भरा रहा। अमर शहीद चन्द्रशेखर की कर्मस्थली सीतापाठा प्रांगण में श्रद्धालुओं ने ब्यासपीठ पर बिराजमान भागवतभूषण पं.रमाकान्त जी ब्यास के श्रीमुखारविन्द से भक्तिरस का पान किया। क्षेत्रीय विधायक केपीसिंह कक्काजू के निर्देशन में नगर परिषद खनियाधाना के तत्वाधान में एतिहासिक स्थल सीतापाठा के विकास के क्रम में आयोजित महाशिवरात्री महोत्सव के दौरान भव्य मेला व श्रीमदभागवत कथा के साथ साथ रासलीला व अन्य कार्यक्रमों का आयोजन सम्पन्न कराया जा रहा है। श्रीमदभागवत कथा के दूसरे दिवस की कथा के दौरान आज भागवतभूषण श्री ब्यास ने उपस्थित श्रद्धालुओं का कथारसपान कराते हुये बताया कि सत्य के समान कोई दूसरा धर्म नहीं है। असत्य के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए अधिकांशतः हमें अपने जीवन में सत्य को अपनाना चाहिये। महाराज श्री ने कथा को राष्ट्रभक्ति से जोडते हुये कहा कि हम राष्ट्र को संदेश दें कि हम अपने जीवन में सत्य के मार्ग पर चलने का प्रयास करेंगे। कथा के दौरान सुमधुर भजनों को लयवद्ध करते हुये महाराज श्री बताया कि प्रार्थना में बडी शक्ति होती है। प्रार्थना जीव की असमर्थता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भगवान के सामने अपनी बुराईयों को प्रकट करने का माध्यम प्रार्थना कहा जा सकता है। प्रार्थना में शब्दों का महत्व नहीं होता प्रार्थना हृदय से होती है। भक्तिरस पान कराते हुये श्री ब्यास वोले कि भगवान को प्रत्येक जीव की बात ज्ञात हो जाती है। उन्होंने संत की व्याख्या करते हुये कहा कि संत जहां रहते हैं फूल की तरह रहते हैं। वे किसी को कष्ट नहीं देते। प्रत्येक अवस्था में भगवान का धन्यवाद करते हैं वे संत हैं। उन्होंने श्रीमदभागवत कथा के दौरान कथा का महत्व समझाते हुये कहा कि भागवत वेद रूपी वृक्ष का पका हुआ फल है जिसमें कोई गुठली व छिलका नहीं होता। उसमें तो केवल अमृत ही अमृत भरा हुआ है। कार्यक्रम के दौरान वृन्दावन गोवर्धन धाम से पधारे हुये संतजन , गणमान्य नागरिकगण, कथा आयोजक , यजमान, व्यवस्थापकगण एवं बडी संख्या में आमजन श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।
खनियाधाना सीतापाठा प्रांगण कथास्थल पर भागवतकथा के दौरान स्वर सम्राट कहे जाने वाले भागवतभूषण पं. रमाकान्त ब्यास के मधुर कंठ से जब भजनों की धारा प्रवाहित हुई तो वातावरण झूम उठा। कन्हैया के भजनों से मग्न होकर उपस्थित श्रद्धालुओं ने संगीत की धुनों पर लहरियां लेते हुये प्रांगण में जमकर नृत्य किया। खनियाधाना क्षेत्र में महाराजश्री की कथा से आनंदित हो रहे श्रद्धालुओं ने इस तरह के आयोजनों की सराहना करते हुये क्षेत्रीय विधायक व नगर परिषद को धन्यवाद दिया।
सत्य के समान कोई दूसरा धर्म नहीं होताः भागवतभूषण ब्यास
कथा के दूसरे दिवस उमडा भक्तों का सैलाव
मुकेश प्रजापति खनियाधाना:- शिवपुरी जिले के पिछोर अनुविभाग अंतर्गत खनियाधाना के एतिहासिक स्थल सीतापाठा पर चल रहे महाशिवरात्री महोत्सव के दौरान आयोजित श्रीमदभागवतकथा सप्ताह के दूसरे दिवस आज कथा पाण्डाल श्रद्धालुओं से भरा रहा। अमर शहीद चन्द्रशेखर की कर्मस्थली सीतापाठा प्रांगण में श्रद्धालुओं ने ब्यासपीठ पर बिराजमान भागवतभूषण पं.रमाकान्त जी ब्यास के श्रीमुखारविन्द से भक्तिरस का पान किया। क्षेत्रीय विधायक केपीसिंह कक्काजू के निर्देशन में नगर परिषद खनियाधाना के तत्वाधान में एतिहासिक स्थल सीतापाठा के विकास के क्रम में आयोजित महाशिवरात्री महोत्सव के दौरान भव्य मेला व श्रीमदभागवत कथा के साथ साथ रासलीला व अन्य कार्यक्रमों का आयोजन सम्पन्न कराया जा रहा है। श्रीमदभागवत कथा के दूसरे दिवस की कथा के दौरान आज भागवतभूषण श्री ब्यास ने उपस्थित श्रद्धालुओं का कथारसपान कराते हुये बताया कि सत्य के समान कोई दूसरा धर्म नहीं है। असत्य के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए अधिकांशतः हमें अपने जीवन में सत्य को अपनाना चाहिये। महाराज श्री ने कथा को राष्ट्रभक्ति से जोडते हुये कहा कि हम राष्ट्र को संदेश दें कि हम अपने जीवन में सत्य के मार्ग पर चलने का प्रयास करेंगे। कथा के दौरान सुमधुर भजनों को लयवद्ध करते हुये महाराज श्री बताया कि प्रार्थना में बडी शक्ति होती है। प्रार्थना जीव की असमर्थता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भगवान के सामने अपनी बुराईयों को प्रकट करने का माध्यम प्रार्थना कहा जा सकता है। प्रार्थना में शब्दों का महत्व नहीं होता प्रार्थना हृदय से होती है। भक्तिरस पान कराते हुये श्री ब्यास वोले कि भगवान को प्रत्येक जीव की बात ज्ञात हो जाती है। उन्होंने संत की व्याख्या करते हुये कहा कि संत जहां रहते हैं फूल की तरह रहते हैं। वे किसी को कष्ट नहीं देते। प्रत्येक अवस्था में भगवान का धन्यवाद करते हैं वे संत हैं। उन्होंने श्रीमदभागवत कथा के दौरान कथा का महत्व समझाते हुये कहा कि भागवत वेद रूपी वृक्ष का पका हुआ फल है जिसमें कोई गुठली व छिलका नहीं होता। उसमें तो केवल अमृत ही अमृत भरा हुआ है। कार्यक्रम के दौरान वृन्दावन गोवर्धन धाम से पधारे हुये संतजन , गणमान्य नागरिकगण, कथा आयोजक , यजमान, व्यवस्थापकगण एवं बडी संख्या में आमजन श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।
खनियाधाना सीतापाठा प्रांगण कथास्थल पर भागवतकथा के दौरान स्वर सम्राट कहे जाने वाले भागवतभूषण पं. रमाकान्त ब्यास के मधुर कंठ से जब भजनों की धारा प्रवाहित हुई तो वातावरण झूम उठा। कन्हैया के भजनों से मग्न होकर उपस्थित श्रद्धालुओं ने संगीत की धुनों पर लहरियां लेते हुये प्रांगण में जमकर नृत्य किया। खनियाधाना क्षेत्र में महाराजश्री की कथा से आनंदित हो रहे श्रद्धालुओं ने इस तरह के आयोजनों की सराहना करते हुये क्षेत्रीय विधायक व नगर परिषद को धन्यवाद दिया।
Post a Comment