कर्जमाफी प्रक्रिया में सामने आई बड़ी गड़बड़ी,शासन में हड़कंप
सरकार ने जांच के आदेश दिए,मंंत्री सज्जन सिंह ने लगाया घोटाले का आरोप
भोपाल । कर्जमाफी मे बडी ही गड़बड़ी सामने आयी है देखा जाए तो किसानो का कहना है कि सरकार ने कर्जा माफ न करके उनको छला है जानकारी के अनुसार निकायों और पंचायतों में कर्जमाफी वाले किसानों की जो सूची तैयार की गई है, उसमें गंभीर गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। कर्ज की लिस्ट में उन किसानों के भी नाम जोड़ दिए गए हैं, जिन्होंने कभी कर्ज लिया ही नहीं तो किसी के नाम पर दोगुनी राशि का कर्ज दिखाया गया है।
इस गड़बड़झाले में सहकारी साख समितियां सवालों के घेरे में आ गई हैं। इससे सरकार में भी हड़कंप मच गया है। सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने समितियों का स्पेशल ऑडिट कराकर जांच कराने की बात कही है तो पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा घोटाले का आरोप लगा रहे हैं।
हमारी टीम ने गांवों में जाकर गड़बड़ियों की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। भोपाल से सटे चौदह गांव में करीब 40 फीसदी किसानों के नाम कर्जमाफी की सूची में नहीं आए। हर सूची में 10 से 15 ऐसे किसानों के नाम हैं, जिनका 10 से 1000 रुपए तक कर्ज माफ हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि बकाया उन खातों का आ रहा है, जो किसान 31 मार्च के पहले ही क्लोज कर चुके हैं। कई जगह बैंकों का सेवा शुल्क, न्यूनतम बैलेंस अमाउंट ही बकाया राशि में दिख रहा है।
जिन खातों में उनका बकाया ज्यादा है। उनका उल्लेख सूची में नहीं है। इतना ही नहीं, जितना कर्ज लिया है, उसका दो गुना सूची में दर्ज है। जिन्होंने लोन नहीं लिया, वे भी बकायादार बना दिए गए। फिलहाल सरकार ने हर जिले में कंट्रोल रूम बनाकर किसानों की शिकायतों की त्वरिज जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए एक पैनल भी गठित किया जाएगा। इस पैनल की निगरानी आयुक्त सहकारिता कार्यालय में बने कंट्रोल रूम से होगी।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या किसानों की हर शिकायत की जांच पैनल दो दिन में कर लेगा। यदि नहीं तो इससे कर्जमाफी की प्रक्रिया की रफ्तार धीमी हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि 15 जनवरी से अभी तक 32 लाख से अधिक किसानों ने कर्जमाफी के फार्म भर दिए हैं, जिनका सत्यापन भी हो
सरकार ने जांच के आदेश दिए,मंंत्री सज्जन सिंह ने लगाया घोटाले का आरोप
भोपाल । कर्जमाफी मे बडी ही गड़बड़ी सामने आयी है देखा जाए तो किसानो का कहना है कि सरकार ने कर्जा माफ न करके उनको छला है जानकारी के अनुसार निकायों और पंचायतों में कर्जमाफी वाले किसानों की जो सूची तैयार की गई है, उसमें गंभीर गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। कर्ज की लिस्ट में उन किसानों के भी नाम जोड़ दिए गए हैं, जिन्होंने कभी कर्ज लिया ही नहीं तो किसी के नाम पर दोगुनी राशि का कर्ज दिखाया गया है।
इस गड़बड़झाले में सहकारी साख समितियां सवालों के घेरे में आ गई हैं। इससे सरकार में भी हड़कंप मच गया है। सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने समितियों का स्पेशल ऑडिट कराकर जांच कराने की बात कही है तो पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा घोटाले का आरोप लगा रहे हैं।
हमारी टीम ने गांवों में जाकर गड़बड़ियों की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। भोपाल से सटे चौदह गांव में करीब 40 फीसदी किसानों के नाम कर्जमाफी की सूची में नहीं आए। हर सूची में 10 से 15 ऐसे किसानों के नाम हैं, जिनका 10 से 1000 रुपए तक कर्ज माफ हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि बकाया उन खातों का आ रहा है, जो किसान 31 मार्च के पहले ही क्लोज कर चुके हैं। कई जगह बैंकों का सेवा शुल्क, न्यूनतम बैलेंस अमाउंट ही बकाया राशि में दिख रहा है।
जिन खातों में उनका बकाया ज्यादा है। उनका उल्लेख सूची में नहीं है। इतना ही नहीं, जितना कर्ज लिया है, उसका दो गुना सूची में दर्ज है। जिन्होंने लोन नहीं लिया, वे भी बकायादार बना दिए गए। फिलहाल सरकार ने हर जिले में कंट्रोल रूम बनाकर किसानों की शिकायतों की त्वरिज जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए एक पैनल भी गठित किया जाएगा। इस पैनल की निगरानी आयुक्त सहकारिता कार्यालय में बने कंट्रोल रूम से होगी।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या किसानों की हर शिकायत की जांच पैनल दो दिन में कर लेगा। यदि नहीं तो इससे कर्जमाफी की प्रक्रिया की रफ्तार धीमी हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि 15 जनवरी से अभी तक 32 लाख से अधिक किसानों ने कर्जमाफी के फार्म भर दिए हैं, जिनका सत्यापन भी हो
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