भाजपा को भारी न पड़ जाए यशोधरा की अनदेखी
विधान सभा के चुनाव सामने, पार्टी की किसी भी समिति में नाम नहीं!
भोपाल। एक ओर कांग्रेस है जो चुनवों को सामने देख घर घर जाकर अपने एक एक असंतुष्ट कार्यकर्ता को मनाने का काम कर रही है। वहीं दूसरी ओर भाजपा है जिसने अपने मंत्रिमंडल के बेहद प्रभावी काबीना मंत्रियों तक को अनदेखा करने का एक प्रकार से मन ही बना लिया है। हम बात कर रहे हैं उन समितियों की जो प्रदेश भाजपा ने आगामी विधान सभा चुनावों के मद्देनजर हाल ही में गठित की हैं। इनमें से यूं तो बहुत सारे कद्दावर नेताओं के नाम नदारद हेैं। लेकिन एक नाम ऐसा है,जो भाजपा के लिए बेहद खास होने के बावजूद कतिपय नेताओं द्वारा जानबूझ कर अनदेखा किया जाना बताया जा रहा है। वह नाम है ग्वालियर शिवपुरी अशोक नगर गुना और मालवा क्षेत्र समेत प्रदेश भर में परंपरागत प्रभाव रखने वालीं प्रदेश सरकार की काबीना मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया का। इस बारे में भाजपा के भीतरी सूत्रों का कहना है कि जब आगामी चुनाव में एक एक सीट को लेकर आशंकाएं व्यक्त की जा रही हों, तब श्रीमती राजे को यूं अनदेखा किया जाना भाजपा को भारी पड़ सकता है।
क्या है अंतर्कलह का कारण..?
यहां एक बात साफ है कि देश हो या प्रदेश, सभी जगहों पर और सभी दलों में कुछ नेता कनखजूरे टाईप के होते हैं। ओैर शीर्ष पर विराजमान कुछ नेता कच्चे कान के भी होते हैं जो इन कनखजूरों की बातों में आकर अनजाने में अपना और अपनी पार्टी का नुक्सान करते रहते हैं, लेकिन गलती सुधारने में अपनी हेटी समझते हैं। ऐसा ही हाल प्रदेश की सत्ताधारी भाजपा में हेै। प्रदेश के खासकर उन इलाकों में जहां पर ग्वालियर महल का लोगों के मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव है। वहां पर कुछ नेताओं के दिलो दिमाग पर हमेशा एक ही बात हावी रहती है कि आजादी के सत्तर सालों बाद भी लोग सिंधिया परिवार को बेइंतिहा क्यों चाहते हैं। और यही इनकी जलन का कारण है सो आए दिन सामंतवाद, अठारह सौ सत्तावन ओैर गरीब की औलाद अमीर की ओैलाद जैसे घिसे पिटे गीत गाते रहते हैं। ऐसे ही कुछ कनखजूरे प्रदेश भाजपा और सत्ता में बैठे आला हुक्मरानों के दिमाग को खराब करने का काम करते हैं। नतीजा ये होता है कि क्षेत्रों में पार्टी की भद्द इनके कर्मों से पिटती है और जान समझकर भी जिम्मेदार नेता अपनी गलतियों को सुधारने का नाम नही लेते। क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा करने से उनकी हेटी हो जाएगी।
जैसा कोलारस और मुंगावली के उप चुनाव में हुआ था अब वैसा ही कुछ विधान सभा के आम चुनावों में होने जा रहा है। तब प्रत्याशी तय करते वक्त रायशुमारी में उनकी अनदेखी की गई, अब भाजपा की विभिन्न चुनावी समितियों में से श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया का नाम नदारद है। कनखजूरों की तो बात ही क्या करें जब कि निर्णायक भूमिका में बैठे नेता ही सब कुछ जानते हुए भी सच्चाई को मानने की हालत में नही हैं कि भाजपा केा कोलारस और मुंगावली के उपचुनावों में नुक्सान हुआ क्यों था? जबकि तब भी भाजपा में जमीनी स्तर से लगातार ये रिपोर्ट आ रही थी कि राजे महाराज की लगातार अनदेखी हो रही है, ये ठीक नही है। इसका खामियाजा कनखजूरों को नही भाजपा को भुगतना पड़ सकता है। मजे की बात तो ये है कि तब भी भाजपा बहरी बनी रही और अब फिर वही गलती दुहराने जा रही है। आज जैसे ही ये समितियां उजागर हुईं, वैसे ही गुना, अशोक नगर, राजगढ़ और ग्वालियर के अलावा मालवा क्षेत्र से ये सवाल उछलते रहे कि दीदी महाराज का नाम किसी भी समिति में नही है क्या?
अनेक भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा ये स्पष्ट किया गया है कि एक ओर तो प्रदेश भर की जनता सिंधियाओं को भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने वाले परिवार के रूप में आशा भरी नजरों से देख रही है। यहां तक कि विरोधी दल के लोग भी अपने यहां बतौर सी एम इन वेटिंग सिंधिया सरनेम की ही मांग कर रहे है। और एक भाजपा है जो आज तक की राजनीति में आर्थिक और नैतिक पहलुओं के मद्देनजर भ्रष्टाचार के आरोपों से कतई बेदाग रहती आईं श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया से परहेज बरतने का सियासी पाप करने से बाज नही आ रही है। कौन नही जानता कि ये वे ही राजे हैं जो गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में अनेकों सालों तक भाजपा की संस्थापक नेता रहीं कैलाशवासी राजमाता श्रीमती विजया राजे सिंधिया का सफल चुनाव संचालन संभालती रही हैं और और बतोैर उनकी प्रतिनिधि पूरे ग्वालियर शिवपुरी गुना और अशोकनगर में मतदाताओं के बीच काम करती रही हैं और उसी सेवा भाव का नतीजा है कि वे ग्वालियर की सांसद रहीं तो कभी जरूरत पडऩे पर विधायक का चुनाव लडऩे के लिए भी राजी हुईं। यही वजह है कि आज शिवराज सरकार में काबीना मंत्री के पद को शुसोभित कर रही हैं।
गलती को सुधारे आलाकमान
उपरोक्त क्षेत्रों के भाजपा जनों की मांग है कि भाजपा का आला कमान समय रहते अपनी गलती को सुधारे और श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया को उनकी गरिमा के अनुकूल पद पर मनोनीत कर उनकी योग्यता का पार्टी हित में इस्तेमाल करे। वर्ना कहीं ऐसा न हो कि क्षेत्र की जनता फिर से भाजपा के खिलाफ मन में गांठ बांध ले और बाद में केवल ये पछतावा भर रह जाए कि काश पार्टी ने राजे महाराज की लोकप्रियता का सम्मान कर लिया होता।
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