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माता-पिता हमारे नाथ अर्थात स्वामी हैं: पूर्णमति माताजी।। SHIVPURIMPNEWS ।।


माता-पिता धन-दौलत, वस्त्रादि के भूखे नहीं हैं। उन्हें तो केवल प्रेम वात्सल्य की दौलत की प्यास रहती है



स्वप्निल जैन,खनियाधांना। नगर के इतिहास का अनूठा कार्यक्रम जनक-जननी सम्मान समारोह संत शिरोमणि आचार्य गुरुवर 108 विद्यासागर महाराज जी की शिष्या पूज्य आर्यका रत्न 105 पूर्णमति माताजी ससंघ के सानिध्य में बहुत ही भव्यता पूर्वक संपन्न हुआ। प्रात: की बेला में सर्वप्रथम श्रीजी का अभिषेक एवं जगत के कल्याण की भावना से वृहद शांतिधारा की गई। तत्पश्चात पूज्य आर्यिका संघ को एक भव्य जुलूस के रूप में कार्यक्रम स्थल टेकरी मन्दिर प्रांगण लाया गया। इस अवसर पर सुंदर सुंदर नाटक कार्यक्रम इतनी भाव विभोर पूर्ण प्रस्तुत किए गए कि उपस्थित जन समुदाय की आंखों से अश्रुधारा वह पड़ी,आर्यिका माँ पूर्णमति माताजी को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य श्री मान बाबूलाल जी संजीव कुमार जी राजीव कुमार जी खिरकिट वालो को प्राप्त हुआ।



• इस अवसर पर अमीता जैन.कुसुम सिंंह ने कहा कि आज हम वृद्ध माता पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ रहे हैं, यह बड़ी विडंबना है। जिस मकान कि नींव ना हो वह खड़ा नहीं रह सकता, जिस घर में माता पिता का सम्मान ना हो, वह घर नहीं हो सकता।माता पिता के सम्मान के संबंध में भावपूर्ण विचार व्यक्त किए



• तत्पश्चात उपस्थित माता-पिता का सम्मान उनकी पुत्रवधू एबं पुत्र आदि ने तिलक लगाकर श्रीफल माला सहित विभिन्न उपहार भेंट किये। साथ ही ऐसे बच्चे जो अपने माता पिता बड़े भाई या बुजुर्गों से किसी कारणवश बात नहीं करते उनसे अलग रहते हैं उनके माता-पिता किसी कारण बात से अपने बच्चों से नाराज रहते हैं। सभी ने अपने माता-पिता को बहुत भाव से अपना सिर उनके पैरों में रखकर अपनी गलतियों की क्षमा मांगी और संकल्प लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए कभी माता-पिता का दिल नहीं दुखा एंगे। उपस्थित लोगों का कहना है कि वास्तव में यह कार्यक्रम बेहद भाव-विभोर करने वाला था।
• कार्यक्रम के दौरान माता-पिता से माफ़ी मांगने का दृश्य देखकर उपस्थित सभी लोगों की आंखों में आंसू आ गए माता पिता ने अपने उद्बोधन में कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा कि मां बाप से बढ़कर इस दुनिया में कोई नहीं सबसे पहले उनका सम्मान रखो उनका ध्यान रखो।

---- संकल्प ----

• कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने संकल्प लिया कि आज के बाद हम कोशिश करेंगे हमारे माता-पिता को किसी भी प्रकार का कष्ट दुख ना हो।

• बाल ब्रम्हचारी विनय भैया जी ने अपने उद्बोधन में कहा की जिस घर में माता पिता का सम्मान ना हो, वह घर नहीं हो सकता। सात बार तो सात, दिन मेंं होते हैं लेकिन आठवां बार मात-पिता हैं जिनके बिना दिन ही नहीं हो सकता। जिस घर में माता-पिता बसते हैं वहां प्रभु बसते हैं। जिस घर में माता पिता रहते हैं वहां नव वर्ष, होली, दीवाली, तीनों त्योहार प्रतिदिन मनाए जाते हैं।

• पूज्य माताजी ने कहा कि कैसी विडंबना है कि आज भारत जैसे सांस्कृतिक प्रधान देश में माता-पिता के सम्मान के लिए समारोह आयोजित करना पड़ रहा है। क्योंकि माता-पिता का सम्मान तो सदैव हृदय में रहना चाहिए। पूज्य माताजी ने कहा कि माता-पिता धन-दौलत, वस्त्रादि के भूखे नहीं हैं। उन्हें तो केवल प्रेम वात्सल्य की दौलत की प्यास रहती है। माता-पिता का अरमान रहता है कि जब तुमने पहली बार आंखें खुली तो माता-पिता तुम्हारे सामने थे, तो जब वह अंतिम सांस ले तो तुम उनके सामने रहो, जिन बच्चों के माता-पिता नहीं होते वह अनाथ कहलाते हैं, भावार्थ हमारे माता-पिता हमारे नाथ, अर्थात स्वामी है, तो हम ऐसा कार्य करें कि हम सनाथ बने रहें।

बचपन में जब हम बिस्तर गीला करते थे तो माँं खुद गीले में सोकर हमें सूखे में सुलाती थी, लेकिन आज हम ऐसी करनी ना करें कि हमारे कारण माँ की आंखें गीली हो जाए, स्वयं शरीर में माँ का स्थान हृदय के समान और पिता का स्थान मस्तिष्क के समान होता है, हम 5 किलो का पत्थर पेट पर बांध कर 9 मिनट भी नहीं चल फिर सकते जबकि माँ हमारा वजन पेट में लिए 9 माह तक चलना फिरना कार्य करना आदि सब करती रहती है, पूज्य माताजी ने कहा कि माँं संंतान में जो संस्कारों का रोपण करती है वह कोई नहीं कर सकता और हम संस्कारहीन होकर उन्हें कष्ट पहुंचा रहे हैं। हमारी संस्कृति वह है कि जहां राम ने पिता के वचन को पालन करने के लिए 14 वर्ष का बनवास स्वीकार कर लिया था, श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता-पिता को कंधे पर कांवड़ में रखकर तीर्थ यात्रा कराई थी, लेकिन हम अंतिम यात्रा में भी माता-पिता का साथ नहीं दे पाते। माता-पिता को टूटा-फूटा सामान ना समझें बल्कि उन्हें कीमती हीरा समझे। पत्नी का चुनाव किया जा सकता है लेकिन माँ का नहीं वह स्वत: मिलती है।


• कार्यक्रम मे विशिष्ट अतिथि श्री मती अमीता जैन सदस्य मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग भोपाल. श्री मती कुसुम सिंह रेवा वाटी महिला मंडल नगर प्रमुख भोपाल. कार्यक्रम मे भोपाल. मुगावली. चंदेरी. अशोकनगर. ललितपुर. झाँसी. सहित आस पास के क्षेत्र के समाज के लोग मोजूद रहे।
कार्यक्रम को सफल आयोजन मे विशेष भूमिका बाल ब्रह्मचारी विनय भैया जी भोपाल एवं बाल ब्रहमचारी आशीष भैया ललितपुर की रही।


                                      

स्वप्निल जैन

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